छांगुर बाबा प्रकरण : बेटी के जन्म को छांगुर की दुआ मानकर मुस्लिम बन गए नीतू और नवीन रोहरा

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मुंबई में हाजी अली दरगाह पर छांगुर बाबा से मिले थे निस्संतान नीतू व नवीन

मुंबई में रहते हुए तीनों का दुबई से इस्लाम अपनाने का बनवा दिया प्रमाण पत्र

बलरामपुर। उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर मतांतरण के नेटवर्क का सरगना माना जा रहा छांगुर बाबा एटीएस की गिरफ्त में है और उसके खिलाफ प्रशासन की कार्रवाई भी जारी है। ब्रेन वाश के जरिये हिंदू युवंतियों के छलपूर्वक योजनाबद्ध मतांतरण, इस पूरे खेल में करोड़ों की कमाई और विदेशी फंडिंग की उसकी कहानी फिल्मी लगती है। गांव रेहरामाफी से उतरौला आकर साइकिल से अंगूठी और नंग बेचने वाला छांगुर बाबा चार से पांच साल में ही करोड़ों का मालिक बन गया। छांगुर बाबा नग बेचने मुंबई जाने लगा। वहां उसकी मुलाकात नागपुर के इदुल इस्लाम से हुई। इसी के साथ हाजी अली दरगाह पर नीतू और नवीन रोहरा से छांगुर बाबा की मुलाकात हुई। दोनों को छांगुर बाबा ने अंगूठी दी और मन्नत पूरी होने की दुआ कराई। बताते हैं, जब छांगुर बाबा से दोनों मिले थे तब इनके कोई संतान नहीं थी।
2010 में नीतू ने पुत्री को जन्म दिया। इसके बाद नीतू और नवीन का छांगुर बाबा के प्रति भरोसा और बढ़ गया। छांगुर जब भी “मुंबई जाता, नवीन के आवास ब्लू माउंटेन योगी हिल्स मुलुंड वेस्ट मुंबई-80 में ही ठहरता और इस्लाम धर्म अपनाने के लिए ब्रेनवाश करने लगा। छांगुर बाबा के प्रभाव में आकर नीतू, नवीन ने बेटी, समाले के साथ 2015 में मतांतरण कर लिया। छांगुर बाबा ने मुंबई में रहते हुए तीनों का दुबई से इस्लाम अपनाने का प्रमाण पत्र भी जारी करवा दिया। इससे छांगुर बाबा का दुबई कनेक्शन भी सामने • आया। मतांतरण के बाद नीतू उर्फ नसरीन, नवीन उर्फ जमालुद्दीन व बेटी समाले उर्फ सब्रीहा बन गए।

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तीनों सिंधी थे। नीतू मूल रूप से चेन्नई तमिलनाडु की रहने वाली है, जो विवाह के बाद नवीन के साथ मुंबई में रहने लगी।
-ग्रामीण बताते हैं कि छांगुर बाबा शुरू से ही बिना कुछ किए अधिक धन कमाने की फितरत में रहता था इसलिए नग और अंगूठी बेचने के साथ दुआ करने की राह पर चलने लगा। लोगों को शराब छुड़ाने, संतान की मन्नत पूरी करने के साथ हर परेशानी की दवा नग और अंगूठी को बताने लगा। स्वयं को पीर बाबा, सूफी बासफा हजरत बाबा जलालुद्दीन कहलवाने लगा। मधपुर में कोठी के बगल स्थित चांद औलिया दरगाह पर सलाना उर्स का आयोजन करता। इसमें देश-विदेश से उसके चाहने वाले व्यक्ति आते। ग्रामीणों का कहना है कि 2019-2020 में नीतू, नवीन व बेटी समाले के साथ छांगुर बाबा के साथ रहने रेहरामाफी गांव आ गई। रेहरामाफी छांगुर बाबा का

मूल गांव है। यहां से अलग मधपुर गांव में नीतू के नाम करीब पांच बीघा जमीन खरीदी और 12 करोड़ रुपये की लागत से आलीशान कोठी बनवाई। इसी कोठी में छांगुर बाबा अपने परिवार और नीतू, नवीन के साथ रहने लगा। छांगुर बाबा हमेशा नीतू और नवीन के साथ ही कोठी से बाहर निकलता था। गाड़ी नवीन चलाता और छांगुर बाबा के साथ नीतू पीछे की सीट पर बैठती थी। गांव में दोनों के नौकरी छोड़कर आने की हवा भी छांगुर बाबा ने फैला रखी है। जबकि छांगुर बाबा की बीवी, बच्चे और नाती-पोते हैं। छांगुर बाबा ने ऐसी घुट्टी पिलाई की नीतू, नवीन व बेटी समाले ने 2021 में स्वयं मतांतरण करने और कोई कार्रवाई होने पर स्वयं जिम्मेदार होने का एक शपथ पत्र भी दे रखा है। फिलहाल छांगुर बाबा, उसका बेटा महबूब, नीतू व नवीन जेल में हैं।

तीनों ने की 19 बार दुबई की यात्रा
2016 से 2020 के बीच करीब 19 बार नवीन और नीतू ने दुबई की यात्रा की है। इस अवधि में दोनों एक बार ही साथ दुबई गए, लेकिन वापस अलग-अलग लौटे। छांगुर बाबा 2018 में एक बार सउदी अरब भी गया था।

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